वो शक्श कौन था जो- भर दुपहरी में
अँधेरा ओढ कर आया -और
चुपके से रौशनी बाँट कर
वापिस चला गया .
रूठ जाना तो कोई बड़ी बात नहीं -
रूठ के मन भी तो जाना चाहिए.
मन जो लगता नहीं कहीं भी यार
किसी से दिल लगाना चाहिए .
कितना मुख़्तसर सा था सफ़र अपना ,
ना कोई घर था, ना कोई घर का सपना .
लौट जाते हैं थक कर लोग जब
दरवाजे की कुंडिया खडका कर -
गिर जाती है उम्मीद-की दिवार
भरभरा कर .
मैं भी हारा ना था - और जीता भी नहीं कोई
युहीं आपस में लड़ते रहे हम तमाम उम्र .
उम्र भर ढूँढता रहा जिसको - जो मेरा कभी था ही नहीं
कमबख्त, ये किसी दूसरे की आंख का सपना तो नहीं.
फिर कोई फूल मुस्कुरा के जब खिलखिलाया,
अपना गुज़रा बचपन - तब बहूत याद आया.
करते हैं इश्क - मादरे हिन्दोस्तान से ,
रब से कभी, खुद से कभी, पुरे जहान से .
दिल नहीं चाहता
खो जाऊं तो -
ढूंढे कोई मुझे .
बड़ी मुश्किल से -
खुदको भूलकर -
उसका हुआ हूँ मैं .
गाफिल नहीं - सोया नहीं
पाया नहीं खोया नहीं .
ढूंढो जरा यारो - मुझे
मैं ना जाने कहाँ हूँ .
वो हम नहीं हमसा कोई और नहीं और होगा
पाया कहाँ हूँ खुदको अभी तक ढून्ढ रहा हूँ .
खुदा को ढूँढना आसाँ -
है खुदको ढूँढना मुश्किल .
खुद से बेगाना हो - उसको अपना बना लिया
सच है की जो खो गया - उसने उसे पा लिया .
झूनझुनों से खेलता देश
ये आयातित सोच -
नए जमाने के तरीके -
तौर भी है - हाकिम से पूछो
जो दे सके जवाब तो -
सवाल और भी हैं .
अँधेरा ओढ कर आया -और
चुपके से रौशनी बाँट कर
वापिस चला गया .
रूठ जाना तो कोई बड़ी बात नहीं -
रूठ के मन भी तो जाना चाहिए.
मन जो लगता नहीं कहीं भी यार
किसी से दिल लगाना चाहिए .
कितना मुख़्तसर सा था सफ़र अपना ,
ना कोई घर था, ना कोई घर का सपना .
लौट जाते हैं थक कर लोग जब
दरवाजे की कुंडिया खडका कर -
गिर जाती है उम्मीद-की दिवार
भरभरा कर .
मैं भी हारा ना था - और जीता भी नहीं कोई
युहीं आपस में लड़ते रहे हम तमाम उम्र .
उम्र भर ढूँढता रहा जिसको - जो मेरा कभी था ही नहीं
कमबख्त, ये किसी दूसरे की आंख का सपना तो नहीं.
फिर कोई फूल मुस्कुरा के जब खिलखिलाया,
अपना गुज़रा बचपन - तब बहूत याद आया.
करते हैं इश्क - मादरे हिन्दोस्तान से ,
रब से कभी, खुद से कभी, पुरे जहान से .
सूरत नहीं सीरत नहीं - है कुछ नहीं खुदा
मैं पशोपश में हूँ - तुझे अब पेश क्या करू .
बातें अजीब हैं मेरी - समझेंगे नहीं लोग
खुदको समझ सका नहीं - वो आदमी हूँ मैं .
दिल नहीं चाहता
खो जाऊं तो -
ढूंढे कोई मुझे .
बड़ी मुश्किल से -
खुदको भूलकर -
उसका हुआ हूँ मैं .
गाफिल नहीं - सोया नहीं
पाया नहीं खोया नहीं .
ढूंढो जरा यारो - मुझे
मैं ना जाने कहाँ हूँ .
वो हम नहीं हमसा कोई और नहीं और होगा
पाया कहाँ हूँ खुदको अभी तक ढून्ढ रहा हूँ .
खुदा को ढूँढना आसाँ -
है खुदको ढूँढना मुश्किल .
खुद से बेगाना हो - उसको अपना बना लिया
सच है की जो खो गया - उसने उसे पा लिया .
झूनझुनों से खेलता देश
ये आयातित सोच -
नए जमाने के तरीके -
तौर भी है - हाकिम से पूछो
जो दे सके जवाब तो -
सवाल और भी हैं .
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