दोष कुम्हार का नहीं -
चाक का भी नहीं ,
कोई बर्तन फिर
सीधा क्यों नहीं बनता.
ये मिटटी ही ख़राब है यार.
भुरभुरी -मिटटी को
और गूँथ अभी -चिकनी बना
पैरो के अभी और थोड़े लोच लगा .
ये हाथों में तभी मान पाएगी -
जब पैरों से अच्छी तरह गूंथी जायेगी .
तभी बनेगी -कोई मूरत
जब धूप में सूखेगी- आवे में आंच खाएगी
तभी तो भाव जागेगें और -लोग द्वारा
भगवान की तरह पूजी जाएगी .
चाक का भी नहीं ,
कोई बर्तन फिर
सीधा क्यों नहीं बनता.
ये मिटटी ही ख़राब है यार.
भुरभुरी -मिटटी को
और गूँथ अभी -चिकनी बना
पैरो के अभी और थोड़े लोच लगा .
ये हाथों में तभी मान पाएगी -
जब पैरों से अच्छी तरह गूंथी जायेगी .
तभी बनेगी -कोई मूरत
जब धूप में सूखेगी- आवे में आंच खाएगी
तभी तो भाव जागेगें और -लोग द्वारा
भगवान की तरह पूजी जाएगी .
No comments:
Post a Comment