ये कहाँ आ गए हम -
क्या ढूँढने निकले थे -
क्या पा गए हम .
किंतनी बेचारगी है-
कभी ऐसी तो ना थी -
बर्फ की ये नदी -कभी
जमी ऐसी तो ना थी .
रास्ते काँटों भरे - ऐसे तो ना थे
रहनुमा यार -सब ऐसे तो ना थे .
कारवां -लूट गया दिन के उजाले में
हमारे दिन कभी ऐसे तो ना थे .
रात भर छत पर बरसते रहे पत्थर,
अजीब लोग है सब ये -मेरे
पडोसी कभी ऐसे तो ना थे
कहाँ पे जाके रहिएगा -
कहाँ दिल को लागाओगे,
वतन अपना है फिर भी-
दूर इससे कैसे जाओगे .
क्या ढूँढने निकले थे -
क्या पा गए हम .
किंतनी बेचारगी है-
कभी ऐसी तो ना थी -
बर्फ की ये नदी -कभी
जमी ऐसी तो ना थी .
रास्ते काँटों भरे - ऐसे तो ना थे
रहनुमा यार -सब ऐसे तो ना थे .
कारवां -लूट गया दिन के उजाले में
हमारे दिन कभी ऐसे तो ना थे .
रात भर छत पर बरसते रहे पत्थर,
अजीब लोग है सब ये -मेरे
पडोसी कभी ऐसे तो ना थे
कहाँ पे जाके रहिएगा -
कहाँ दिल को लागाओगे,
वतन अपना है फिर भी-
दूर इससे कैसे जाओगे .
No comments:
Post a Comment