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Wednesday, March 23, 2011

राज चले जाते हैं , ताज चले जाते हैं,

राज चले जाते हैं , ताज चले जाते  हैं,
सारे हमराज चले जाते हैं .
'स्व राज 'की चिंता कर -प्यारे ,
तू तो अभी (बूढ़ा) बच्चा है
वर्ना यहाँ बड़े बड़े उस्ताद चले जाते हैं .

किसी ने सोचा किसी ने माना -और
कहीं कोई कर गुजरा  दीवाना -तो
पंडाल ख़ाली हो जाएगा -वोटो और नोटों
का साम्राज्य जाली  हो जाएगा .

अभी जो तेरी 'मय' -
सर चढ़ कर -संसद में बोलती है
हर उड़ते  परिंदे के पर तोलती है .
पर ये भीड़ है -इसका तुझे अंदाज़ नहीं ,
तू तो बुझता चिराग है -यार ,
ये तो उगते सूरज की जय बोलती है .

इतिहास लिखने की- जिद छोड़,
इसमें अपनी जगह ढून्ढ - क्या पता
किसी हाशिये पर भी बाकी ना बचे .
कटोरा लेकर और कहाँ जाएगा -गर 
कहीं अमरीका ने भी घास ना डाली ,
फिर कौन मिटाएगा ये तेरी तंग हाली .

तेरी रौशनी की तलाश -
जुगनुओं तक ही आखिर क्यों जाती है,
सूरज से रुबरु आँख -
मिलाने में क्या -शर्म आती है  


 

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