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Monday, March 7, 2011

मैं समंदर हूँ - तू नदी है

मैं समंदर हूँ - तू नदी है ,
मैं कंही-कहीं हूँ - तू हर कही हैं.
कितनी अजीब सी तलाश है
समंदर हूँ फिर भी दिल में प्यास है .

तू नदी है फिर भी उदास है -
मेरी तो जिन्दगी ही लहरों के
साथ है -बहता नहीं हूँ , बन्धनों में
रहता नहीं हूँ .

तू बहना तो चाहती है ,जाने कितने बांध
तेरा रास्ता रोकते हैं.
किसी को-अपना कहना तो चाहती है-पर
तेरे अपने लोग -तुम्हे टोकते हैं .

क्या जिन्दगी है -तुम्हारी
बस बहना - बहते बहते मुझ में खो जाना ,
थक हार कर मेरे आंचल में सो जाना.

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