आग की बात मत कर -
बरसात का मौसम है .
पुरवैया का जोर है -
बूंदों का मजा ले ना .
रोज रोज - रोने का
क्या फायदा है सोच .बरसात का मौसम है .
पुरवैया का जोर है -
बूंदों का मजा ले ना .
रोज रोज - रोने का
कभी तो थोड़ा सा
मुस्कुरा दे ना .
फैले सब रंग - बदरंग
जिन्दगी की तस्वीर .
क्यों पोंछता है बार -बार
एक बार - सीधे आंसुओं से
धोने दे ना .
मैं कहता हूँ - चुप्पी
बहूत भली सी है -अब
खुद भी - आराम से रह
सरकार को भी - चैन से
सोने दे ना .
रात का राग - अलसुबह
क्यों छेड़ बैठा मैं -यार
सुबह हुई है अभी -
सबको सुप्रभात तो
कहने दे ना .
मुस्कुरा दे ना .
फैले सब रंग - बदरंग
जिन्दगी की तस्वीर .
क्यों पोंछता है बार -बार
एक बार - सीधे आंसुओं से
धोने दे ना .
मैं कहता हूँ - चुप्पी
बहूत भली सी है -अब
खुद भी - आराम से रह
सरकार को भी - चैन से
सोने दे ना .
रात का राग - अलसुबह
क्यों छेड़ बैठा मैं -यार
सुबह हुई है अभी -
सबको सुप्रभात तो
कहने दे ना .
कभी तो थोडा सा मुस्कुरा देना ...
ReplyDeleteछोडो ये रोज का रोना ...
सुप्रभात !
आग की बात मत कर -
ReplyDeleteबरसात का मौसम है .
पुरवैया का जोर है -
बूंदों का मजा ले ना .
क्या बात कही है सुंदर भाव लिए.
वाह , बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ... सुप्रभात
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
अच्छी अभिव्यक्ति ...... सुप्रभात !
ReplyDeleteफैले सब रंग - बदरंग
ReplyDeleteजिन्दगी की तस्वीर .
क्यों पोंछता है बार -बार
एक बार - सीधे आंसुओं से
धोने दे ना .
बेहतरीन अभिव्यक्ति
रात का राग - अलसुबह
ReplyDeleteक्यों छेड़ बैठा मैं -यार
सुबह हुई है अभी -
सबको सुप्रभात तो
कहने दे ना .bahut sunder abhibyakti.sunder shabdon ka chayan.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks
आग की बात मत कर -
ReplyDeleteबरसात का मौसम है .
पुरवैया का जोर है -
बूंदों का मजा ले ना .
बहुत सच कहा है..सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
हमेशा क्यों रोते रहना...मुस्कुराना चाहिए....बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteबहुत अच्छा अंदाज़, बहुत अच्छी बात ...
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