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Saturday, June 18, 2011

बूंदों का मजा ले ना

आग की बात मत कर -
बरसात का मौसम है .
पुरवैया का जोर है -
बूंदों का मजा ले ना .

रोज रोज - रोने का
क्या फायदा है सोच .
कभी तो थोड़ा सा
मुस्कुरा दे ना .

फैले सब रंग - बदरंग
जिन्दगी की तस्वीर .
क्यों पोंछता है बार -बार
एक बार - सीधे आंसुओं से
धोने दे ना .

मैं कहता हूँ - चुप्पी 
बहूत भली सी है -अब
खुद भी - आराम से रह
सरकार को भी - चैन से
सोने दे ना .

रात का राग - अलसुबह
क्यों छेड़ बैठा मैं -यार
सुबह हुई है अभी -
सबको सुप्रभात  तो
कहने दे ना .

9 comments:

  1. कभी तो थोडा सा मुस्कुरा देना ...
    छोडो ये रोज का रोना ...

    सुप्रभात !

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  2. आग की बात मत कर -
    बरसात का मौसम है .
    पुरवैया का जोर है -
    बूंदों का मजा ले ना .

    क्या बात कही है सुंदर भाव लिए.

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  3. वाह , बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ... सुप्रभात





    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  4. अच्छी अभिव्यक्ति ...... सुप्रभात !

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  5. फैले सब रंग - बदरंग
    जिन्दगी की तस्वीर .
    क्यों पोंछता है बार -बार
    एक बार - सीधे आंसुओं से
    धोने दे ना .

    बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  6. रात का राग - अलसुबह
    क्यों छेड़ बैठा मैं -यार
    सुबह हुई है अभी -
    सबको सुप्रभात तो
    कहने दे ना .bahut sunder abhibyakti.sunder shabdon ka chayan.badhaai aapko.

    please visit my blog.thanks

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  7. आग की बात मत कर -
    बरसात का मौसम है .
    पुरवैया का जोर है -
    बूंदों का मजा ले ना .

    बहुत सच कहा है..सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  8. हमेशा क्यों रोते रहना...मुस्कुराना चाहिए....बहुत बढ़िया...

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  9. बहुत अच्छा अंदाज़, बहुत अच्छी बात ...

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