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Saturday, June 11, 2011

क्षणिकाएँ

इस देश में ख़ास कोई नहीं -
तू सरे आम- आम आदमी की
बात कर - समर से फिर इतना
डरता क्यों है - आज मौका भी
है और दस्तूर भी  है -आजा
दुश्मन से - दो दो हाथ कर .


उड़ चलूं - हवा के संग संग 
तूफानों से छिड़ गयी जंग .
रिमझिम बरसा पल में सावन
कैसा है मौसम मनभावन  . 

उफ़ देखो कितनी गर्मी है 
ए .सी कूलर तो सही यार 
सरकारी बाबू से चलते -
पंखे चलना बेशर्मी हैं .


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