ये राख अभी तक गर्म है - जानते हो
आग का जलना ही धर्म है
बहूत अच्छे रहोगे -जो
दूर से ही ताप खाओगे - और
नजदीक नहीं आओगे- खबरदार
इसे छूना मत - वर्ना जल जाओगे .
वास्तविक आग से - विचारों की
आग - ज्यादा तपाती है .
शोलों सी भड़कती -तडपाती है
जीते जी जिसकी -तपिश
कम नहीं होती - जिस्म शीतल
हो जाए तो - दिल में जल जाती है .
पर बुझती कभी नहीं- चिताओं
तक आपके साथ जाती - और
उसके बाद भी नहीं बुझती -
खुद-बा-खुद दुसरे जिन्दा
जिस्मों में समा जाती है .
आग का जलना ही धर्म है
बहूत अच्छे रहोगे -जो
दूर से ही ताप खाओगे - और
नजदीक नहीं आओगे- खबरदार
इसे छूना मत - वर्ना जल जाओगे .
वास्तविक आग से - विचारों की
आग - ज्यादा तपाती है .
शोलों सी भड़कती -तडपाती है
जीते जी जिसकी -तपिश
कम नहीं होती - जिस्म शीतल
हो जाए तो - दिल में जल जाती है .
पर बुझती कभी नहीं- चिताओं
तक आपके साथ जाती - और
उसके बाद भी नहीं बुझती -
खुद-बा-खुद दुसरे जिन्दा
जिस्मों में समा जाती है .
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