मेरे हृदय की असीम गहराइयों में
एक युद्ध आज भी कहीं ना कही जारी है -
तुम नहीं जानते - ये महाभारत
की खेली जानी वाली दूसरी पारी है .
सभी पात्र मौजूद हैं -
बस कृष्ण की इंतजारी है.
उस छलिया का क्या पता -
अब कौन मुझे बतलायेगा .
ना जाने कौन से रास्ते - डगर,
से कब और कैसे वो आएगा .
कलयुग का प्रथम चरण है -क्या
कोई तरकीब नहीं उसे जल्दी-
से बुलाने की , कोई आशा नहीं
अब उसके तुरत चले आने की.
क्या होगा इस महाभारत का
अंजाम -कौन बचेगा बाकी -और
कौन आएगा काम ,अभी से क्या
लगायें अनुमान .
लड़ने के ढंग तरीके -बदल गए
युद्ध तीर तलवारों से नहीं -अब
बदलते विचारों से लड़ा जाएगा.
रक्तहीन, निशस्त्र होगा -बस
हथियार होंगे केवल शब्द .
कलयुग में कौरव -
गिनती में-बहूत कम हैं -
आज यहाँ हर व्यक्ति
पांडव और कृष्ण हैं .
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