Popular Posts

Tuesday, March 22, 2011

जिन्दगी खेल नहीं

जिन्दगी खेल नहीं - कि फ़ुटबाल
कि मानिंद -ठोकरें लगाओ
और गोल करो.

ये तो पहले से ही -एकदम
गोल है - जमीन कि तरह
और कितनी गोल करोगे .
और इसे कितना रोल करोगे .

इससे लिपटोगे तो खुद भी
लिपट जाओगे -बलखाती बेल
से इससे चिपट जाओगे .

फिर तुम जिन्दगी को -
पकडे रखना -या छोड़ना
अपने से दूर करना - या
अपनी तरफ मोड़ना .

निर्द्वंद ,निशंक -तुम इसे
चलने दो -इससे पहले कि
ये तुम्हे छोड़ जाए -तुम्हारे
भाग्य कि लकीरों की तरह ,
रूठ जाए -रमते फकीरों की तरह .

No comments:

Post a Comment