क्यों बेकार की बहस में पड़ा है ,
किसी एक दल का नाम ले -
जो बिना बैसाखी, इंटों के ,
सहारे- अपने पैरों पर खड़ा है .
आधे शतक तक -जम के लुटा
उन गाँधी के चेलों ने -याद कर
कितना खून चून्सा था इन देसी
फिरंगी -लुटेरों ने .
आज भी तम्बू लगाये -ब्लड बैंक
के नुमायेंदे बने खड़े हैं -आम इंसान
का बचा कुचा खून -डोनेशन में
लेने को अड़े हैं .
हिन्दुओं की इस पार्टी ने
कौनसी दौलत के थाल तुझे बांटे थे .
कांग्रेस के छोड़े -
झूठे दुने पत्तल ही चाटे थे .
अपना सुखा पेट ही भरा था
आम आदमी को क्या निहाल करा था.
कहाँ गए थे इस पार्टी के वादे
संविधान -पाँच साल में क्या पाया था
आपने श्रीमान -एक आध तो काम
कर जाते -पूरा कार्यकाल गुजर
दिया इंटों पर खड़ी -अपाहिज
सरकार को बार बार मरने से बचाते .
कौन सा मंदिर बनाया -या कश्मीर
में गवाया हुआ कौन सा हक तुने पाया.
हाँ पर्चे छपवा कर -
आमंत्रण देकर मुशरफ को बुलवाया .
और लगे हाथ खुद भी -अमन के
कबूतर पाकिस्तान तक उड़ा आया .
पर बदले में एक और कारगिल
का युद्ध हुआ -भूल गया क्या ?
जिसमे हमने कितना-
खोया क्या क्या गवाया .
अब सोच ये क्या देंगे -इस देश के
भूखे नंगे अवाम को -
साल में एक बार नहीं हर रोज-
एक नया बजट लाये जाते है -
तेरी जिन्दगी कैसे -
और ज्यादा मुश्किल हो -
ऐसे प्रस्ताव रोज संसद में -
पास करवाए जाते है
किसी एक दल का नाम ले -
जो बिना बैसाखी, इंटों के ,
सहारे- अपने पैरों पर खड़ा है .
आधे शतक तक -जम के लुटा
उन गाँधी के चेलों ने -याद कर
कितना खून चून्सा था इन देसी
फिरंगी -लुटेरों ने .
आज भी तम्बू लगाये -ब्लड बैंक
के नुमायेंदे बने खड़े हैं -आम इंसान
का बचा कुचा खून -डोनेशन में
लेने को अड़े हैं .
हिन्दुओं की इस पार्टी ने
कौनसी दौलत के थाल तुझे बांटे थे .
कांग्रेस के छोड़े -
झूठे दुने पत्तल ही चाटे थे .
अपना सुखा पेट ही भरा था
आम आदमी को क्या निहाल करा था.
कहाँ गए थे इस पार्टी के वादे
संविधान -पाँच साल में क्या पाया था
आपने श्रीमान -एक आध तो काम
कर जाते -पूरा कार्यकाल गुजर
दिया इंटों पर खड़ी -अपाहिज
सरकार को बार बार मरने से बचाते .
कौन सा मंदिर बनाया -या कश्मीर
में गवाया हुआ कौन सा हक तुने पाया.
हाँ पर्चे छपवा कर -
आमंत्रण देकर मुशरफ को बुलवाया .
और लगे हाथ खुद भी -अमन के
कबूतर पाकिस्तान तक उड़ा आया .
पर बदले में एक और कारगिल
का युद्ध हुआ -भूल गया क्या ?
जिसमे हमने कितना-
खोया क्या क्या गवाया .
अब सोच ये क्या देंगे -इस देश के
भूखे नंगे अवाम को -
साल में एक बार नहीं हर रोज-
एक नया बजट लाये जाते है -
तेरी जिन्दगी कैसे -
और ज्यादा मुश्किल हो -
ऐसे प्रस्ताव रोज संसद में -
पास करवाए जाते है
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