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Saturday, March 12, 2011

मत ढून्ढ भविष्य के- शिलालेखों पे अपनी जीत के निशान

मत ढून्ढ भविष्य के-
शिलालेखों पे अपनी जीत के  निशान ,
जिन्दगी कोई खेल नहीं है श्रीमान .

तेरे बाप दादा ने -मुर्गे बटेर लड़ाए थे -
वे चर्चे -सोच के तो देख  -
कितने दिन तेरे काम आये थे .

तेंदुलकर ने मैच में -
कितने शतक  बनाये थे,
तुझे क्या मिला -
वो तेरे और देश से ज्यादा तो -
उसके घर परिवार के काम आए थे .
  
वो दिन गए जब खेल खेल में -
पांडवों को श्रीकृष्ण ने महाभारत
के युद्ध जिताया था .
चीन से हुई जंग में -
तुझे बचाने आखिर कौन आया था .
 
जमाना बदल गया -बदल गए
सुर-ताल -तेरे नेताओं का 
हो चूका है बुरा हाल .
ये त्रेता नहीं कलयुग है -मेरे लाल .

संभल जा अब भी -
आज  तेरा हर पग -
हर क्षेत्र में पगा होना चाहिए. 
कोई गैर ना रहे -तू सबका सगा होना चाहिए  .

भविष्य के शिलालेखों में तू ही तू हो -
बस स्वर्णाक्षरो में हर जगह -
तेरा ही नाम लिखा होना चाहिए .

 


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