उठ रहा नभ में धुंआ सा देखिये
हर तरफ फैला कुहासा देखिये
सामने गहरी खुदीं हैं खाइयाँ
और पीछे है कुआँ सा देखिये .
पतझरों का दौर बीती बात है
फूल ही बस फूल हैं बिखरे हुए
जहाँ तक भी यार जाती है नजर -
पात सूखे देखिये निखरे हुए .
आज कुदरत का तमाशा देखिये
पेड़ खुद फल अपने खाता देखिये .
आदमी मजबूर है मगरूर भी
आज बन्दर का तमाशा देखिये .
हर तरफ फैला कुहासा देखिये
सामने गहरी खुदीं हैं खाइयाँ
और पीछे है कुआँ सा देखिये .
पतझरों का दौर बीती बात है
फूल ही बस फूल हैं बिखरे हुए
जहाँ तक भी यार जाती है नजर -
पात सूखे देखिये निखरे हुए .
आज कुदरत का तमाशा देखिये
पेड़ खुद फल अपने खाता देखिये .
आदमी मजबूर है मगरूर भी
आज बन्दर का तमाशा देखिये .
बाँध के जिनके किनारे वास हैं
घर बना उनका कुआँ सा देखिये
प्यास सागर की कभी बुझती नहीं
आज नदियों को भी प्यासा देखिये .
बाँध के जिनके किनारे वास हैं
घर बना उनका कुआँ सा देखिये
प्यास सागर की कभी बुझती नहीं
आज नदियों को भी प्यासा देखिये .
बारिशों की बूँद से राहत नहीं
बादलों का झुण्ड आता देखिये
क्षीर सागर में प्रभु का वास है
आदमी है फिर भी प्यास देखिये .
बारिशों की बूँद से राहत नहीं
बादलों का झुण्ड आता देखिये
क्षीर सागर में प्रभु का वास है
आदमी है फिर भी प्यास देखिये .
बादलों का झुण्ड आता देखिये
क्षीर सागर में प्रभु का वास है
आदमी है फिर भी प्यास देखिये .
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