शहर के फेरों में
गाँव के घेरों* में
पीपल के पेड़ों में
झुरमुट घनेरों में
आशा और आस में
बिजली प्रकाश में
ढीबरी के पास में
नीम अंधेरों में .
झाडी के बेरों में -
पत्थर के ढेरों में
ढूंढा मिला नहीं
कहाँ कहाँ हेरूं मैं .
सीधा सा सादा सा
मिट्टी - बुरादा सा
कुछ कुछ नर सा
और कुछ मादा सा .
जलता अलाव सा
लकड़ी पुलाव सा
बाजारी भाव सा
गुस्से में ताव सा
खोये उन सालों में
गोरों में कालों में
इंसानी खालों में
नदियों से नालों में
दुःख में रुदन सा
सुख का कृपण सा
बहन में भाई सा
भाई में बहन सा .
रीता सा बीता सा
हारा सा जीता सा
शब्द ये कविता सा
पुस्तक में गीता सा
गढ़ी ना कोई किला
सूत्र ना कोई सिला
ढूँढा जीवन भर जो
'यार' वो नहीं मिला .
घेरों* = वो स्थान जहाँ पशु बांधे जाते हैं
गाँव के घेरों* में
पीपल के पेड़ों में
झुरमुट घनेरों में
आशा और आस में
बिजली प्रकाश में
ढीबरी के पास में
नीम अंधेरों में .
झाडी के बेरों में -
पत्थर के ढेरों में
ढूंढा मिला नहीं
कहाँ कहाँ हेरूं मैं .
सीधा सा सादा सा
मिट्टी - बुरादा सा
कुछ कुछ नर सा
और कुछ मादा सा .
जलता अलाव सा
लकड़ी पुलाव सा
बाजारी भाव सा
गुस्से में ताव सा
खोये उन सालों में
गोरों में कालों में
इंसानी खालों में
नदियों से नालों में
दुःख में रुदन सा
सुख का कृपण सा
बहन में भाई सा
भाई में बहन सा .
रीता सा बीता सा
हारा सा जीता सा
शब्द ये कविता सा
पुस्तक में गीता सा
गढ़ी ना कोई किला
सूत्र ना कोई सिला
ढूँढा जीवन भर जो
'यार' वो नहीं मिला .
घेरों* = वो स्थान जहाँ पशु बांधे जाते हैं
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