बूंटा बूंटा देखा -
पत्ता पत्ता छाना
कोई गुल नहीं खिला
सभी ने ऐसा माना .
पूंछा पूर्व ने पश्चिम -
उत्तर ने दक्षिण से .
निकला सूरज नहीं
अभी तो यार कसम से .
खोदी धरा तमाम
की अम्बर पूरा छाना
नहीं मिला वो वैरी
हो जिसका देश दीवाना .
अब ये महाभारत -
बिन अर्जुन के होगी
नहीं सारथि कृष्ण
तबाही जम के होगी .
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