शब्द आईना होते हैं
जाने कितने भावों को
अलग अलग तरह से
बार बार ढ़ोते हैं .
छिपे भावों - प्रभावों को
उडती कल्पनाओं को
मादक कल्पनाओं को
जिवंत करते - पर
फिर भी अर्थ नहीं खोते हैं .
तभी तो कहते हैं
शब्द मरते नहीं -
अमर होते हैं .
जाने कितने भावों को
अलग अलग तरह से
बार बार ढ़ोते हैं .
छिपे भावों - प्रभावों को
उडती कल्पनाओं को
मादक कल्पनाओं को
जिवंत करते - पर
फिर भी अर्थ नहीं खोते हैं .
तभी तो कहते हैं
शब्द मरते नहीं -
अमर होते हैं .
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