सुबह मादक है मगर कुछ
मुश्किलों का ध्यान भी है .
गल रहा ठंडी सिला पर
जिस्म भी है प्राण भीं है .
एक मैं अभिशप्त तो क्या
सकल जगत जहान भी है
मूर्ति पूजी गयीं हैं -
पत्थरों में प्राण भीं है
गीत भी है गान भी -
मधुर जिसकी तान भी है
गा सकें जो देशवासी -
देश का सम्मान भी है .
मुल्क होंगे बहूत से पर
भारत देश महान ही है .
जिसमें बसती है सदा ही
आत्मा भी जान भी है .
इल्तिजा है उस खुदा से
हुक्म चलने का मिले तो
मिलूँ तेरी ख़ाक में मैं
फिर बुलाये जो - धरा पर
इसी मिटटी में उगूँ मैं .
मुश्किलों का ध्यान भी है .
गल रहा ठंडी सिला पर
जिस्म भी है प्राण भीं है .
एक मैं अभिशप्त तो क्या
सकल जगत जहान भी है
मूर्ति पूजी गयीं हैं -
पत्थरों में प्राण भीं है
गीत भी है गान भी -
मधुर जिसकी तान भी है
गा सकें जो देशवासी -
देश का सम्मान भी है .
मुल्क होंगे बहूत से पर
भारत देश महान ही है .
जिसमें बसती है सदा ही
आत्मा भी जान भी है .
इल्तिजा है उस खुदा से
हुक्म चलने का मिले तो
मिलूँ तेरी ख़ाक में मैं
फिर बुलाये जो - धरा पर
इसी मिटटी में उगूँ मैं .
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