जंतर तंतर खाली क्या -
दादा और मवाली क्या .
जलसे में अब भीड़ नहीं -
कविता क्या कव्वाली क्या .
अपनी 'होली' होली जी -
उनकी गयी दिवाली क्या .
दोनों बाजू घायल हैं -
बजे हाथ से ताली क्या .
देसी रोटी कहीं नहीं -
दूध मलाई खाली क्या .
देसी पौधे सूख गए -
परदेसी है माली क्या .
दादा और मवाली क्या .
जलसे में अब भीड़ नहीं -
कविता क्या कव्वाली क्या .
अपनी 'होली' होली जी -
उनकी गयी दिवाली क्या .
दोनों बाजू घायल हैं -
बजे हाथ से ताली क्या .
देसी रोटी कहीं नहीं -
दूध मलाई खाली क्या .
देसी पौधे सूख गए -
परदेसी है माली क्या .
No comments:
Post a Comment