जिन्दगी उम्मीद है आस है
मौत जिन्दगी हो ही नहीं सकती
ढूँढना जिन्दगी को पड़ता है
मौत तो कहीं खो ही नहीं सकती .
कोई हमदर्द - कोई
अपना सा - ढूंडा बहूत
कभी मिला ही नहीं
सिले और क्या मिलने थे यार
जब कोई सिलसिला ही नहीं .
जब इंसान अट्टाहास करता है
तो प्रकृति बहूत रोती है .
पर प्रकृति की हंसी - तो
बड़ी डरावनी विभित्स होती है .
काँटों का ही सृजन कर
आज प्रसव की -
कुछ पीड़ा सहन कर .
कल ये तेरे गुलशन के
पहरुए कहलायेंगे .
जिदगी शान से जियोगे
या सफ़ेद चमड़ी से -
अपनी भद्द पिटवाओगे
ये तुम पर निर्भर है
की शमशान में जलोगे
या फिर ताबूत में जाओगे .
एक मोदी को
ओढोगे या बिछाओगे -
या फिरंगियों के हाथों -
देश की अस्मत -
दुबारा लूटवाओगे .
अब घर में ही पड़े रहोगे
या सड़क पर भी आओगे .
नीरो की मुरली बजे फड्कें सारे अंग -
झूम झूमकर - नाचले फिरना हों ये रंग .
दिल्ली कितनी दूर है - इटली कितनी पास
जिस दिन बस्ता हो जमा - टूटे इनकी आस .
रात सतरंगी -
रंगारंग हसीन
पर सुबह के
बस दो रंग -
या तो सबरंग -
या फिर बेरंग .
कई बार यूँही - कुछ कहने को दिल नहीं करता .
वो खामोश हों तो चुप रहने को दिल नहीं करता .
जिन्दगी इम्तिहान - पहेली नहीं
सुघड़ नार तो है पर नवेली नहीं
गम ख़ुशी दोनों साथ साथ मिले
ख़ुशी मिली - पर कभी अकेली नहीं .
आओ स्वागत करें -
इस मुस्कुराती शाम का
उजाला जा रहा है रोक लो -
अब ये मेरे किस काम का .
सुबह होगी तो - सब जान जायेंगे
ये सूरज भी - निकल आएगा .
बादलों की ओट में - आखिर
कोई इसे कब तलक छुपायेगा .
रहने की चाह थी - मगर रहने नहीं दिया
कहने को बहूत था मगर कहने नहीं दिया
अनुबंध के घर या की दिल की शर्त है यही
अवधि ख़तम पैसे ख़तम तो निकल जाइये .
ना ये भाग्य से मिली उन्हें -
ना मिली उन्हें जो थे खेल में .
बडी कीमती थी स्वतंत्रता -
गधों को मिल गयी 'सेल' में .
जिन्दगी खेल थी -
गुज़र गयी खेल खेल में
कठिन पढ़ाई थी - बीत गयी
नतीजे और - इस पास फेल में .
बिगाड़ लो जो बिगाड़ना है
करूँ वही जो मन भाया
उखाड़ लो जो उखाड़ना है
लो पप्पू स्वीडन घूम आया .
प्यार गर ज्यादा नहीं
तो यार कम ही सही .
जब करना ही है
तो फिर कोई और क्या
हम ही सही .
इतना कमजोर भी नहीं हूँ -
जो तुमसे सुलह की बात करूं .
युद्धविराम नहीं हुआ है अभी
क्यों ना तुमसे दो दो हाथ करूं .
ना सही हुकूमते हिन्द -
कमसे कम 'वो' तो वहां थे
अरे जब मोदी जी वहां थे -
तो देश के बाकी सीएम कहाँ थे ?
सत्ता की कुर्सी से दूरी
लड़ना है चुनाव जरुरी
मोदी का विरोध मुखर हो
कांग्रेस की है मज़बूरी .
अब तो मेरे लाल उतर जा
चढ़े रहोगे कबतक गोदी .
चुप होजा अब रो ना ज्यादा
वर्ना आ जाएगा मोदी .
हाय हाय -अब गयी हाथ से
निकली कुर्सी बहूत पास से
अम्मा मेरी रोको इसको -
आम आदमी कह बहकाया
मोदी तो हैं बहूत ख़ास से .
गाँधी नेहरु त्याग बावले
मत कर इनको देश हवाले
जाओ मोदीजी से कह दो
उठे पार्थ गांडीव सम्भाले .
लड़ना है चुनाव जरुरी
मोदी का विरोध मुखर हो
कांग्रेस की है मज़बूरी .
अब तो मेरे लाल उतर जा
चढ़े रहोगे कबतक गोदी .
चुप होजा अब रो ना ज्यादा
वर्ना आ जाएगा मोदी .
हाय हाय -अब गयी हाथ से
निकली कुर्सी बहूत पास से
अम्मा मेरी रोको इसको -
आम आदमी कह बहकाया
मोदी तो हैं बहूत ख़ास से .
गाँधी नेहरु त्याग बावले
मत कर इनको देश हवाले
जाओ मोदीजी से कह दो
उठे पार्थ गांडीव सम्भाले .
जिन्दगी लट्टू सा
घुमाती रही -
ना कहीं पहुंचना था
ना कभी पहुंचे कहीं .
ये द्वार -
किसने खटखटाया था
अभी यहाँ कौन आया था .
हवा या तुम - या
फिर तुम्हारा ख्याल .
ना हकीकत - ना फ़साना था
ये नए दौर का ज़माना था -
एक दौड़ थी - अंधी जिसमे
जिन्दगी जी तोड़ कमाना था .
ना मिले कुछ तो सबर करिए
ना मिले ठौर तो सफ़र करिए .
पहले इंसान तो बनले बादमे करना शिकार
महूब्ब्त सीख ले पहले ओ भोंदू राजकुमार .
वो जो सीमा पे खड़ा होके करता ललकार -
तिरंगे में लिपटा हुआ है देशका प्यार दुलार .
शहर में नीम अन्धेरा - और रौशनी की दरकार
ये मरघट के दिए जलते हुए अच्छे नहीं लगते .
ख्वाब देखना ही है
तो फिर ऐसा देखो
जो हकीकत में हो -
और हकीकत सा लगे .
ऐसे सपने जो कभी हो जाएँ सच
मैं कहता हूँ ऐसे सपनों से बच .
है बहूत भीड़ यहाँ बचके निकल
कहीं दिलसे दिल ना हो जाए टच .
पिज्जा बर्गर अब जाने दे
तू देसी खीचड़ी खा प्यारे .
मैया - भैया में क्या रखा -
मोदी मोदी चिल्ला प्यारे .
जाने कैसा ये मौसम है
जिस बारिश में हम भीजें है .
ना दारु है ना पिज्जे है
ना ढोल कहीं ना डीजे है .
फिर भी क्या है इस मोदी में
जाने क्यों हम इसपर रीझे हैं .
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