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Tuesday, June 11, 2013

हर घर की बात सुनो प्यारे

(पत्नीजी से क्षमा याचना सहित)

हर घर की बात सुनो प्यारे
जो आये समझ गुनो प्यारे
ये 'वो' का महत्म राग सुनो
घर में लग जाए आग सुनो

'वो' गद्दे बीच रिजाई सी
'ये' सुखी हुई चटाई सी .
'वो' माले मुफ्त लगे यारो
'ये' जैसे कठिन कमाई सी .

'वो' साली जैसी हूर यार
ये भौजी चाची ताई सी
वो अलबेली सरकार लगे
'ये' जैसे मुन्ना भाई सी .

वो तितली उडती फूल फूल
गंधों की जैसे उडे धूल .
ये छोंक प्याज की महक यार
यूँ जैसे तीखा चुभे शूल .

पत्नी की बात नहीं अच्छी
प्रियसी की तान सुरीली है
ये सजी हुई शो केस यार
बीवी गाज़र है मूली है .

वो अंगूरी संतान सखे
वो रंगभरी रंगोली है .
ये बुझी चिलम है हुक्के की
बिन चल जाए वो गोली है .

फिर भी ये बात पते की है
'वो' मोली है ये रोली है
'ये' दिवाली सी साथ मेरे
'वो' होली कब की 'होली' है .

 

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