फूल बोता नहीं -
एक से अनेक कलमें
काटता हूँ- लगाता हूँ
मैं -फूलों के नए नए
चमन खिलाता हूँ .
इस भांति -मैं
हर रोज नए फूलों के -
शहर बसाता हूँ
अपनी कविता की
खुशबु से पूरी दुनिया
को महकाता हूँ .
हाथों में फूलों के -
गुलदस्ते लिए
यहाँ -वहां , कहीं भी -
निकल जाता हूँ.
फूल प्रतीक हैं -
प्रेम के -आस्था के
सत्य के -विश्वाश के
स्वयम काँटों में रह कर भी
तुम्हें फूलों से सजाता हूँ .
एक से अनेक कलमें
काटता हूँ- लगाता हूँ
मैं -फूलों के नए नए
चमन खिलाता हूँ .
इस भांति -मैं
हर रोज नए फूलों के -
शहर बसाता हूँ
अपनी कविता की
खुशबु से पूरी दुनिया
को महकाता हूँ .
हाथों में फूलों के -
गुलदस्ते लिए
यहाँ -वहां , कहीं भी -
निकल जाता हूँ.
फूल प्रतीक हैं -
प्रेम के -आस्था के
सत्य के -विश्वाश के
स्वयम काँटों में रह कर भी
तुम्हें फूलों से सजाता हूँ .
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