कभी हर कहीं मैं था -
तुम कहीं कहीं -
पर आज तुम हर कहीं हो
और मैं कहीं नहीं.
ये कैसा युग - ये कैसे लोग
झूठ पर तालियाँ - और
सच पर गालियाँ सुनाते हैं .
भीड़ से दूर रहता हूँ -
कहीं कम ही आता जाता हूँ
क्यों की मैं हर कहीं हूँ भी -
और नहीं भी .
तुम कहीं कहीं -
पर आज तुम हर कहीं हो
और मैं कहीं नहीं.
ये कैसा युग - ये कैसे लोग
झूठ पर तालियाँ - और
सच पर गालियाँ सुनाते हैं .
भीड़ से दूर रहता हूँ -
कहीं कम ही आता जाता हूँ
क्यों की मैं हर कहीं हूँ भी -
और नहीं भी .
No comments:
Post a Comment