ईश्वर की सबसे सुंदर रचना ?
कुछ ऐसी ही है -पर
जी नहीं फूल नहीं - पक्षी भी नहीं,
वो जो रंगों में रंग भर दे ,
धधकती अग्नि को शीतल कर दे
शीतलजल में अंगारे भर दे .
नहीं सूर्य -चंद्रमा भी
प्रतीक भर - इससे भी अलग
इनसे भी जुदा -
फिर क्या -जो इस मृत्युलोक
को रहने के योग्य बनाये
माया ममता ही जिसका गहना हो
जो अपनी मिसाल खुद ही हो.
घर का ख्वाब ही नहीं देखती -
घर बनाती भी है -
जी नहीं तितली -बिलकुल नहीं
मकड़ी -भी सिर्फ जाल बुनती है
नजरो से नजीर बदल दे -
बादशाहों -दुनिया की भ्रकुटी
मात्र से तक़दीर बदल दे .
ईश्वर की सबसे बड़ी देन
जो आदमी को देवदानव -
कुछ भी बनादे- अपने इशारे पर
पूरे ब्रह्माण्ड को नचा दे .
जरा सोचिये कौन है वो ?
इस पृथ्वी की - तरह ही है
बिलकुल भी नहीं -उससे जुदा
सहने की पाती है अनेकों बार सजा
अंकुर को धरती की मानिद सहेजती -
विशाल दरखत बनाती -अपने प्रेम
ममता से उसे सजाती -
प्रकृति की वो अद्भूत, सुंदर रचना
केवल नारी ही है -जो इस
वीरान भूतल को रहने के-
तुम्हें जीने का पाठ सिखाती है .
कुछ ऐसी ही है -पर
जी नहीं फूल नहीं - पक्षी भी नहीं,
वो जो रंगों में रंग भर दे ,
धधकती अग्नि को शीतल कर दे
शीतलजल में अंगारे भर दे .
नहीं सूर्य -चंद्रमा भी
प्रतीक भर - इससे भी अलग
इनसे भी जुदा -
फिर क्या -जो इस मृत्युलोक
को रहने के योग्य बनाये
माया ममता ही जिसका गहना हो
जो अपनी मिसाल खुद ही हो.
घर का ख्वाब ही नहीं देखती -
घर बनाती भी है -
जी नहीं तितली -बिलकुल नहीं
मकड़ी -भी सिर्फ जाल बुनती है
नजरो से नजीर बदल दे -
बादशाहों -दुनिया की भ्रकुटी
मात्र से तक़दीर बदल दे .
ईश्वर की सबसे बड़ी देन
जो आदमी को देवदानव -
कुछ भी बनादे- अपने इशारे पर
पूरे ब्रह्माण्ड को नचा दे .
जरा सोचिये कौन है वो ?
इस पृथ्वी की - तरह ही है
बिलकुल भी नहीं -उससे जुदा
सहने की पाती है अनेकों बार सजा
अंकुर को धरती की मानिद सहेजती -
विशाल दरखत बनाती -अपने प्रेम
ममता से उसे सजाती -
प्रकृति की वो अद्भूत, सुंदर रचना
केवल नारी ही है -जो इस
वीरान भूतल को रहने के-
योग्य बनाती है .
खुद मर मर कर जीती है,तुम्हें जीने का पाठ सिखाती है .
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