कहीं तो कोई है हवाओं में
लिपट गया है कोई आके मेरे पांवों में
यूँही कई बार लगा है मुझको -की
कहीं आस पास हो तुम .
कोई साया भी -नहीं पास,
मिलन की जाती रही हर आस,
मैं मान भी लूं तो क्या -
दिल यही कहता है -
कहीं आस पास हो तुम .
छुप गए हो कहीं तो -
मिल भी जाओ ,
अपने होने का कोई संकेत तो दो .
जो कहीं आस पास हो तुम.
नजर क्यों खोई खोई सी- तलाशें
तुम्हें हर पल .
ए मेरे ख्वाब -अपनी आँखों को
छोड़ इस तरह तो न जाओ .
परदे हटा दो - मैं जानता हूँ
कहीं आस पास हो तुम.
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