आज असंख्य अर्जुन हैं
जो इस कलयुगी महाभारत
लड़ने को उद्धत हैं ,
पर एक ही दुविधा है -
श्रीकृष्ण कहाँ हैं !!!! "
कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा
बंसीवट,जमुना के तीरे
कदम के पेड़ तले- दबे पाँव
धीरे धीरे .
पर तुझे पाने के लिए -
खुद को अर्जुन सरीखा बनाना होगा ,
खेल नहीं है -सारथि का मित्र बनना ,
है कृष्ण तुम्हे भारत में -
एक बार फिर आना होगा .
अब नहीं जाने दूंगा - यार
वापिस तुम्हें , वास्ता है मेरी यारी
तेरी राधा प्यारी का .
मैं जानता हूँ - तू तो भाव से
बंधा है - हमारे पुकारने में ही
शायद कमी होगी -
पर याद रख -
तू भगवान् है तो क्या
मैं इंसान हूँ तो क्या -
तुने मुझे भले बनाया होगा -
पर याद रख मैंने भी तुझे -
पत्थर से भगवान बनाया है -
तभी तू भी अस्तित्व में आया है .
भगवान के बिना -
यदि भक्त कुछ नहीं तो -
भक्त के बिना -
भगवान् भी अधुरा है .
मैं अधूरा रहा तो -
तू कौन सा पूरा है .
जो इस कलयुगी महाभारत
लड़ने को उद्धत हैं ,
पर एक ही दुविधा है -
श्रीकृष्ण कहाँ हैं !!!! "
कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा
बंसीवट,जमुना के तीरे
कदम के पेड़ तले- दबे पाँव
धीरे धीरे .
पर तुझे पाने के लिए -
खुद को अर्जुन सरीखा बनाना होगा ,
खेल नहीं है -सारथि का मित्र बनना ,
है कृष्ण तुम्हे भारत में -
एक बार फिर आना होगा .
अब नहीं जाने दूंगा - यार
वापिस तुम्हें , वास्ता है मेरी यारी
तेरी राधा प्यारी का .
मैं जानता हूँ - तू तो भाव से
बंधा है - हमारे पुकारने में ही
शायद कमी होगी -
पर याद रख -
तू भगवान् है तो क्या
मैं इंसान हूँ तो क्या -
तुने मुझे भले बनाया होगा -
पर याद रख मैंने भी तुझे -
पत्थर से भगवान बनाया है -
तभी तू भी अस्तित्व में आया है .
भगवान के बिना -
यदि भक्त कुछ नहीं तो -
भक्त के बिना -
भगवान् भी अधुरा है .
मैं अधूरा रहा तो -
तू कौन सा पूरा है .
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