तू लिखता तो खूब है - यार
पर मन के संशयों से बाहर आ.
जब खुद समझ जाये तो ओरों
को समझा .
शब्दों से मत खेल
लेखन -लफ्फाजी नहीं है बस
दिशा कोई दूसरी -रास्ता नया
बतला .
इन्कलाब लंगड़ा हो चला -
हुजूम देख कर मत घबरा
धाराएँ बदल दे - ज़माने के विचारों की
हर बात के मायने -अपने समझा.
पर मन के संशयों से बाहर आ.
जब खुद समझ जाये तो ओरों
को समझा .
शब्दों से मत खेल
लेखन -लफ्फाजी नहीं है बस
दिशा कोई दूसरी -रास्ता नया
बतला .
इन्कलाब लंगड़ा हो चला -
हुजूम देख कर मत घबरा
धाराएँ बदल दे - ज़माने के विचारों की
हर बात के मायने -अपने समझा.
No comments:
Post a Comment