बच्चों की तरह ६३ साल से
पेट के बल रेंग रहा है -
आखिर तू कब बड़ा होगा -
अपने दोनों पैरों पर -बता तो सही
कब खड़ा होगा .
अब तो गाँधी -नेहरु के
वंशज नाती -पौते भी कब के
बड़े हो गए -कुछ तो
काल के गाल में कब के खो गए .
तुझ पर कब तरुणाई आई-
हमे तो किसी ने बताया नहीं भाई .
हम तो आज भी ४७ से पहले के -
हाल में जी रहें हैं - आंसुओं का
सैलाब अभी सूखा ही कहा हैं -
ना जाने कब से पी रहें हैं .
घुट घुट कर मर रहें हैं -
मर मर के जी रहें हैं .
तुझे - पाल पोस कर
बड़ा करने का सपना - बस
सपना ही रह गया - याद है
तुझे -वो फिरंगी हमसे -
जाते जाते भी - क्या कह गया .
उठ जा यार- क्या कोई इस-
कदर बात बात पर रोता है.
चैन की नींद -घोड़े बेच कर
कोई इस तरह सोता है .
तेरे लिए हमने क्या क्या -
मन्नतें नहीं मांगी - मिन्नतें की
तलवारें तानी - तब कहीं तू
हमारे घर में आया था अज्ञानी .
अब तो धूप भी देख- काँधे से होकर
घुटनों पे उतर आई है - शाम
ढलने को है - बात मान
कोई दुल्हन देख - कर ले सगाई
हम भी - इसी बहाने देश भर में
बाँट देंगे मिठाई -बजवा देंगे शहनाई .
अब इतनी सी बात तो-
मान ले मेरे भाई .
पेट के बल रेंग रहा है -
आखिर तू कब बड़ा होगा -
अपने दोनों पैरों पर -बता तो सही
कब खड़ा होगा .
अब तो गाँधी -नेहरु के
वंशज नाती -पौते भी कब के
बड़े हो गए -कुछ तो
काल के गाल में कब के खो गए .
तुझ पर कब तरुणाई आई-
हमे तो किसी ने बताया नहीं भाई .
हम तो आज भी ४७ से पहले के -
हाल में जी रहें हैं - आंसुओं का
सैलाब अभी सूखा ही कहा हैं -
ना जाने कब से पी रहें हैं .
घुट घुट कर मर रहें हैं -
मर मर के जी रहें हैं .
तुझे - पाल पोस कर
बड़ा करने का सपना - बस
सपना ही रह गया - याद है
तुझे -वो फिरंगी हमसे -
जाते जाते भी - क्या कह गया .
उठ जा यार- क्या कोई इस-
कदर बात बात पर रोता है.
चैन की नींद -घोड़े बेच कर
कोई इस तरह सोता है .
तेरे लिए हमने क्या क्या -
मन्नतें नहीं मांगी - मिन्नतें की
तलवारें तानी - तब कहीं तू
हमारे घर में आया था अज्ञानी .
अब तो धूप भी देख- काँधे से होकर
घुटनों पे उतर आई है - शाम
ढलने को है - बात मान
कोई दुल्हन देख - कर ले सगाई
हम भी - इसी बहाने देश भर में
बाँट देंगे मिठाई -बजवा देंगे शहनाई .
अब इतनी सी बात तो-
मान ले मेरे भाई .
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