मन में भ्रम पाले गए
ये कबूतर - बाज से लडाऊंगा,
हम देश दुनिया घर से नहीं -
दिल से भी निकाले गए.
दर्द काँटों के नहीं -शुलों के
नहीं- दिल के आर पार -
हमारे अपनों के तीखे -भाले गए .
खेल में मात ही नहीं थी-केवल
हमारे हाथों से -हमारे पाले गए .
खेल खेल में हम -
इस खेल से निकाले गए .
हाथ कुछ भी नहीं था-
मुंह के निवाले गए .
इस कदर हम कैसे कैसे -
उलटे सीधे सांचों में ढाले गए.
No comments:
Post a Comment