कहना भी जुर्म है मगर सहना भी जुर्म है
खंजर के निशाँ- अब किसे जाके दिखाइए .
जब बात चल पड़ी है तो फिर पूछ किसी से
तू चुप रहे तो ठीक -ये सबको बताइए .
आतंक का मुलाहिजा कर लीजिये तुम भी
सर एक है - तलवार दो अब किस से छिपाइए .
आगाज कुछ नहीं फिर - अंजाम क्या होगा
नौटंकियों में तालियाँ खुल कर बजाइए .
(यशोमद)
खंजर के निशाँ- अब किसे जाके दिखाइए .
जब बात चल पड़ी है तो फिर पूछ किसी से
तू चुप रहे तो ठीक -ये सबको बताइए .
आतंक का मुलाहिजा कर लीजिये तुम भी
सर एक है - तलवार दो अब किस से छिपाइए .
आगाज कुछ नहीं फिर - अंजाम क्या होगा
नौटंकियों में तालियाँ खुल कर बजाइए .
(यशोमद)
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