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Wednesday, May 25, 2011

तुम और मैं - हमेशा साथ साथ

तुम और मैं - हमेशा
साथ साथ - एक दूजे के
हाथों में हाथ .

क्या डरना इस या उस
दुनिया से जब दोनों जहाँ
मेरे लिए -मेरे साथ .

सच मेरे मान - सम्मान
का रखा पूरा ध्यान .
मैं अणु - तू सर्वव्यापत
करुणा निधान .

निष्ठुर नहीं - दयावान
किंचित नहीं - शानो गुमान
तेरे आधीन सारा जहान.




1 comment:

  1. बेहद सुंदर रचना आप फ़ेस बुक जैसे मंच पर अपनी रचनाएं रखें अवश्य ही आपको व्रुहद पाठक संसार मिलेगा

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