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Friday, February 25, 2011

तितलियों के पंख लाया हूँ

आज उड़ने को तुम्हारी -
कल्पना को -
तितलियों के पंख लाया हूँ !

मैं वही हूँ -
साथ तेरे हर घडी हर पल
उठाए फिर रहां हूँ -
बोझ तेरा इस धरा पर
मैं तेरे ही साथ जन्मा -
हमसफ़र हूँ
कब पराया हूँ .

उजाला मेरा पिता है-
रश्मियाँ मेरा बनें घर,
अंधेरों से रौशनी में आया हूँ
नहीं कोई गैर -पगले
मैं तेरा ही साया हूँ. 

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