मैं समंदर हूँ - तू नदी है ,
मैं कंही-कहीं हूँ - तू हर कही हैं.
कितनी अजीब सी तलाश है
समंदर हूँ फिर भी दिल में प्यास है .
तू नदी है फिर भी उदास है -
मेरी तो जिन्दगी ही लहरों के
साथ है -बहता नहीं हूँ , बन्धनों में
रहता नहीं हूँ .
तू बहना तो चाहती है ,जाने कितने बांध
तेरा रास्ता रोकते हैं.
किसी को-अपना कहना तो चाहती है-पर
तेरे अपने लोग -तुम्हे टोकते हैं .
क्या जिन्दगी है -तुम्हारी
बस बहना - बहते बहते मुझ में खो जाना ,
थक हार कर मेरे आंचल में सो जाना.
मैं कंही-कहीं हूँ - तू हर कही हैं.
कितनी अजीब सी तलाश है
समंदर हूँ फिर भी दिल में प्यास है .
तू नदी है फिर भी उदास है -
मेरी तो जिन्दगी ही लहरों के
साथ है -बहता नहीं हूँ , बन्धनों में
रहता नहीं हूँ .
तू बहना तो चाहती है ,जाने कितने बांध
तेरा रास्ता रोकते हैं.
किसी को-अपना कहना तो चाहती है-पर
तेरे अपने लोग -तुम्हे टोकते हैं .
क्या जिन्दगी है -तुम्हारी
बस बहना - बहते बहते मुझ में खो जाना ,
थक हार कर मेरे आंचल में सो जाना.
No comments:
Post a Comment