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Friday, February 25, 2011

गाते क्यों हैं.

गीत गाते गाते - लोग चीखते-चिल्लाते क्यों हैं
सुर-ताल नहीं जानते तो -
फिर गाते क्यों हैं.

मैंने लिख दिया - तुमने पढ़ लिया,
इतना नहीं है काफी , बाकी को जाने दो
कोई और आएगा - अपना दिल जलाएगा.

ये बेसमय का राग -किसी की समझ में
नहीं आएगा -लोग सड़कों पर
उतर आये ,तो तू भाग भी नहीं पायेगा .
और बेमतलब अपनी जान से जाएगा.

चलो तुमने गा भी लिया तो -किसी से
ना कहना - वर्ना बताने के काबिल भी
नहीं रह जाओगे -की तुमने क्या गाया
क्या गवाया .

अरे बच्चों की कविता नहीं है- ये
तो तोप का गोला है - दागने वाला
भी जान से हाथ धोता है -वैसे
लाल रंग कोई होली खेलने का
रंग नहीं होता है .

मेरी मान -गाने की जिद्द मत कर
जल्दबाजी मे -मुंह जल जाएगा .
ना उगल पायेगा -ना ही निगल पायेगा .
वैसे बिना गाये भी तेरा काम चल जायेगा .

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