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Friday, February 25, 2011

समझ में नहीं आता

समझ में नहीं आता - लोग
क्रिकेट ,फिल्मो की बाते
(अपने आस पड़ोस की समस्याओं
को दरकिनार कर)
किस तरह कर लेते हैं

वल्ड कप की चिंता में घूल रहें है -
घर की दीवारों पर नीलामी के पोस्टर
इन्हें क्यों नहीं नजर आते .

क्या खेल इससे जरुरी हो गए-
या फ़िल्मी तारिकाओं के
चर्चे ज्यादा संतुष्टि दे जाते हैं .
अपनी बीवी की साडी में लगे-
पैबंद इन्हें क्यों नहीं नजर आते हैं .

जिस देश की आधी जनता -
आधा पेट सोती है - अजीब बात है
इससे हमें तकलीफ-
क्यों नहीं होती है .

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