ना जाने क्यों - आज
तुझसे मिलने को दिल
चाह रहा है - बता मुझे -
बुला रहा है - या तू
खुद मेरे पास आ रहा है .
चल तू ही आ जा मेरे -
दोस्त मेरे भाई -
लोगों के लिए भगवान्
मेरे लिए तो माखन चोर-
काला कृष्ण कन्हाई .
मैं जानता हूँ - मेरी बात
किसी की समझ में नहीं आई .
पर क्या करूँ - मेरे दिल में
ये भगवान नहीं - दोस्त की
तरह रहता है - मेरी सुनता है
अपनी कहता है - बस ऐसे
ही जीवन चलता रहता है .
मैं बहूत खुश हूँ - उस को पाकर
वो बहूत प्रसन्न है -
मुझे अपना कर .
किसी का आखिर - क्या
बिगड़ जाता है - जब मेरा जिक्र
उसके साथ आता है .
नर नारायण की तरह - हम
दो दीखते जरुर हैं - पर मानले
हम अनेक नहीं - बस एक हैं.
तुझसे मिलने को दिल
चाह रहा है - बता मुझे -
बुला रहा है - या तू
खुद मेरे पास आ रहा है .
चल तू ही आ जा मेरे -
दोस्त मेरे भाई -
लोगों के लिए भगवान्
मेरे लिए तो माखन चोर-
काला कृष्ण कन्हाई .
मैं जानता हूँ - मेरी बात
किसी की समझ में नहीं आई .
पर क्या करूँ - मेरे दिल में
ये भगवान नहीं - दोस्त की
तरह रहता है - मेरी सुनता है
अपनी कहता है - बस ऐसे
ही जीवन चलता रहता है .
मैं बहूत खुश हूँ - उस को पाकर
वो बहूत प्रसन्न है -
मुझे अपना कर .
किसी का आखिर - क्या
बिगड़ जाता है - जब मेरा जिक्र
उसके साथ आता है .
नर नारायण की तरह - हम
दो दीखते जरुर हैं - पर मानले
हम अनेक नहीं - बस एक हैं.
शीतल झोंकें की तरह आनंदित कर गयी...
ReplyDeleteपावन प्रस्तुति...
सादर साधुवाद...
vaah ye bhav bana rahe.
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