मानो ना मानो -पर
बचपन में - मैं
चौखट पकडे खड़ा था .
पर यौवन ने सारे - कायदे
फाड़ डाले - भविष्य की
चिंता से दूर - सब कुछ
हो गया बस राम हवाले .
ध्यान कुछ इतर चीजों में
बँटा था - ये सच है उन दिनों
मेरा - कद थोडा घटा था .
आज सर की कालिख - शुभ्र
हो गयी - मन की स्थिरता
तन की अशुधि - हद तक धो गयी .
अब मैं फिर से बड़ा हूँ -
दंड के सहारे ही सही - पर
पूरी तरह से -अपने पैरों पर खड़ा हूँ .
बचपन में - मैं
सचमुच काफी बड़ा था .
नियम -कायदे कानून की चौखट पकडे खड़ा था .
पर यौवन ने सारे - कायदे
फाड़ डाले - भविष्य की
चिंता से दूर - सब कुछ
हो गया बस राम हवाले .
ध्यान कुछ इतर चीजों में
बँटा था - ये सच है उन दिनों
मेरा - कद थोडा घटा था .
आज सर की कालिख - शुभ्र
हो गयी - मन की स्थिरता
तन की अशुधि - हद तक धो गयी .
अब मैं फिर से बड़ा हूँ -
दंड के सहारे ही सही - पर
पूरी तरह से -अपने पैरों पर खड़ा हूँ .
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