एक उपवन होगा -
मन में एक सपना था
फूलों का देश होगा .
अपना - केवल अपना
परिवेश होगा .
मैंने तो केवल - चंद
फूल बोये थे -
ये केक्टस ,नागफनी -
कहाँ से उग आये .
कोई अमरबेल -क्यों ना
इन पर बेतरह छा जाए .
कोई राह पूंछता हुआ -
क्यों ना यहाँ आ जाए .
यहीं रह जाए और - हमारे
दिलों पर छा जाए .
हम भूल जाएँ - की
हम बरगद के बूढ़े -दरख्त
नदी किनारे के पेड़ हैं .
मन में एक सपना था
फूलों का देश होगा .
अपना - केवल अपना
परिवेश होगा .
मैंने तो केवल - चंद
फूल बोये थे -
ये केक्टस ,नागफनी -
कहाँ से उग आये .
कोई अमरबेल -क्यों ना
इन पर बेतरह छा जाए .
कोई राह पूंछता हुआ -
क्यों ना यहाँ आ जाए .
यहीं रह जाए और - हमारे
दिलों पर छा जाए .
हम भूल जाएँ - की
हम बरगद के बूढ़े -दरख्त
नदी किनारे के पेड़ हैं .
nice ......
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