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Wednesday, September 21, 2011

जाने क्यों अच्छे लगते हैं .

मुस्कुराते हुवे चेहरे - कहकहे
लगाते - हँसते गाते हुवे लोग -
जाने क्यों अच्छे लगते हैं .

बंद पलकों में - रंग बिरंगे
सतरंगी - मचलते हुए सपने
दूर तक - जहाँ तक नज़र
चली जाए - एक छोर से दूसरे
तक फैले मेरे अपने -
जाने क्यों अच्छे लगते हैं .

मैं आम से - ना जाने कब
ख़ास हो जाता हूँ - जब
बेआवाज दबे पाँव - कोई
नाजुक सा - हवा का झोका
मुझे - प्यार से सहला जाता है .
और बरबस - तुम मेरे अपने हो
कह कर - मुझे यूँही बहला जाता है .


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