बूढ़े हो गएँ इरादे
कफ़न से यदा कदा
सर निकालते .
देखते भालते- कहीं
कोई देख तो नहीं रहा .
सो जाते हैं ख्वाब -
बे -आवाज़ निरापद
अगली पारी -
नए साजो सामान
नए बेट-बाल से खेलने
की तैयारी में .
मन कहता है -
चलो कगार पर आ पहुंचे
स्वर्ग की सात सीढियाँ
दिखने लगी हैं .
फिर नया जन्म लेगी
आकांक्षाएं - नए शरीर
के साथ .
कफ़न से यदा कदा
सर निकालते .
देखते भालते- कहीं
कोई देख तो नहीं रहा .
सो जाते हैं ख्वाब -
बे -आवाज़ निरापद
अगली पारी -
नए साजो सामान
नए बेट-बाल से खेलने
की तैयारी में .
मन कहता है -
चलो कगार पर आ पहुंचे
स्वर्ग की सात सीढियाँ
दिखने लगी हैं .
फिर नया जन्म लेगी
आकांक्षाएं - नए शरीर
के साथ .
सुंदर भाव !
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