जिन्दगी भी अजीब है - चुप सी
रहती है कभी - कभी
कोहराम हो जाती है.
बहूत अपनी सी लगती है - कभी
बरायेनाम हो जाती है - भागती
है वेग से - चलते चलते
कभी यूँ ही तमाम हो जाती है .
कभी हाशिये पर - कभी अर्धविराम
तो कभी पूरणविराम हो जाती है .
बहुत ख़ास सी हो जाती है - तो
कभी बहूत आम हो जाती है .
आखिर इसके मायने क्या हैं -
शोर मचाते हुए आते हैं - रिश्ते
मानते हैं बनाते है -और
एक दिन चुपचाप- बिना कहे
बिना बताये जाने कहाँ चले जाते हैं .
रहती है कभी - कभी
कोहराम हो जाती है.
बहूत अपनी सी लगती है - कभी
बरायेनाम हो जाती है - भागती
है वेग से - चलते चलते
कभी यूँ ही तमाम हो जाती है .
कभी हाशिये पर - कभी अर्धविराम
तो कभी पूरणविराम हो जाती है .
बहुत ख़ास सी हो जाती है - तो
कभी बहूत आम हो जाती है .
आखिर इसके मायने क्या हैं -
शोर मचाते हुए आते हैं - रिश्ते
मानते हैं बनाते है -और
एक दिन चुपचाप- बिना कहे
बिना बताये जाने कहाँ चले जाते हैं .
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