घर से बाहर निकल -
अरे चौक तक तो चल
आज भारत -मिस्र और
रोम हो रहा है ,
तू कैसा इंसान है
जो खूंटी तान के-
गहरी निंद्रा में सो रहा है .
सच है जिसे लोरियां देके -
अफीम के नशे में -सुलाया है .
कैसे जागेगा -
उसका विश्वाश की
उसके चूल्हे के लिए -घर घर
चिंगारी बेचने-
कोई बहूत दूर से आया है.
बाहर निकल कर देख -
कैसे सरमायेदारों, राजनेताओं के
घर लुट रहें हैं ,
आस्मां में दिवाली के से अनार -
फूट रहें हैं .
उठ कर स्वागत कर -
उस रहनुमा का
देख इस संसद नुमा मकान के-
ऊँचे ऊँचे कंगूरे टूट रहे हैं .
अरे चौक तक तो चल
आज भारत -मिस्र और
रोम हो रहा है ,
तू कैसा इंसान है
जो खूंटी तान के-
गहरी निंद्रा में सो रहा है .
सच है जिसे लोरियां देके -
अफीम के नशे में -सुलाया है .
कैसे जागेगा -
उसका विश्वाश की
उसके चूल्हे के लिए -घर घर
चिंगारी बेचने-
कोई बहूत दूर से आया है.
बाहर निकल कर देख -
कैसे सरमायेदारों, राजनेताओं के
घर लुट रहें हैं ,
आस्मां में दिवाली के से अनार -
फूट रहें हैं .
उठ कर स्वागत कर -
उस रहनुमा का
देख इस संसद नुमा मकान के-
ऊँचे ऊँचे कंगूरे टूट रहे हैं .
No comments:
Post a Comment