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Wednesday, April 6, 2011

घर से बाहर निकल

घर से बाहर निकल -
अरे चौक तक तो चल
आज  भारत -मिस्र और
रोम हो रहा है ,

तू कैसा इंसान है
जो खूंटी तान के-
गहरी निंद्रा में सो रहा है .

सच है जिसे लोरियां देके -
अफीम के नशे में -सुलाया है .
कैसे जागेगा -
उसका विश्वाश की
उसके चूल्हे के लिए -घर घर
चिंगारी बेचने-
कोई बहूत दूर से आया है.

बाहर निकल कर देख -
कैसे सरमायेदारों, राजनेताओं के
घर लुट रहें हैं ,
आस्मां में दिवाली के से अनार -
फूट  रहें हैं .

उठ कर स्वागत कर -
उस रहनुमा का
देख इस संसद नुमा मकान के-
ऊँचे ऊँचे कंगूरे टूट रहे हैं .





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