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Thursday, April 14, 2011

हंसी और खुशियाँ मनाना ही नहीं - जिन्दगी

हंसी और खुशियाँ मनाना ही नहीं - जिन्दगी
परेशानियाँ और ढोकरें खाना भी जिन्दगी है ,
किसी के विरह में ग़मगीन रहना ही नहीं कुछ
किसी अपने को भूल जाना भी जिन्दगी है .

दोस्ती साथ नहीं चलती - उम्र भर लेकिन
दुश्मनी रखना -निभाना भी जिन्दगी है.
बहार में आप  रोने की बात करते हैं -
दर्द में हर पल - मुस्कुराना भी जिन्दगी है .

तुझ को खोया तो लगा  - बहूत ठीक हुआ शायद
मरे रिश्तों से अपनी गर्दन छुड़ाना भी जिन्दगी है.
भय के प्रेतों से जान अपनी बचा के रखना   -
मौत के सामने -हिम्मत से डट जाना भी जिन्दगी है .
   
वो भला आदमी - जो सीधा साधा सा  है
ऐसे लोगो को  फिर सताना क्या रुलाना क्या
सभी कहते हैं तो फिर ठीक ही कहते होंगे - ऐ दोस्त
तुमपे ग़ज़ल लिखना -पढना सुनाना भी जिन्दगी है .

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