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Friday, December 30, 2011

फूलों - बहारों की बात जाने दो

फूलों - बहारों की बात जाने दो
जरा इस तरफ - पत्थरों की बौछार
तो आने दो - बचें या फटे हमें क्या 
उन्हें सर अपना खुद बचाने दो .

और बढ़िया क्या होगी - सौगात
तमाचे गाल पे - इनके अभी लगाने दो
पुराना साल बीत जाएगा तो क्या -
इस नए साल को तो जरा आने दो .

नए चेहरे नहीं - वही बासे हैं
हाथ में उनके वही पासे हैं .
खेल नटवर को खेलने दो अब
शुक्नी को भी तो मात खाने दो .

कोई दो चार - नहीं अरबों -खरबों हैं
हिसाब मुझको आज तुम लगाने दो
एक एक पाई वसूल होगी अब -तुम 
मुझे रौशनी में तो जरा आने दो .

2 comments:

  1. बहुत खूब्…………आगत विगत का फ़ेर छोडें
    नव वर्ष का स्वागत कर लें
    फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
    चलो कुछ देर भरम मे जी लें

    सबको कुछ दुआयें दे दें
    सबकी कुछ दुआयें ले लें
    2011 को विदाई दे दें
    2012 का स्वागत कर लें

    कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
    कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
    एक शाम 2012 के नाम कर दें
    आओ नववर्ष का स्वागत कर लें

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  2. प्रिय वंदना , इतना अच्छा लिखा है
    की प्रशंसा के लिए शब्द नहीं हैं मेरे
    पास ....बहूत सुंदर !!! नव वर्ष की
    आपको शुभकामनायें और शुभाशीष ...!!

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