शब्द ये हैं कमाल के यार
प्यार से बोलो - निहाल हों जाएँ
कई खुद में सिमट जाएँ - कई
अपने -आपे से बाहर हो जाएँ .
बोल कडवे हों - मगर सच कहना
जमीं हिल जाए - पर तू डटे रहना .
मान ले तू अगर मेरा कहना - झूठ
कहना नहीं - सच को सच कहना .
तू मेरा आज है -
और वो कल था .
मेरा क्या -मैं तो 'कल'
बीता हुआ कल हो जाऊं .
प्रकाश - की बात पर
चाँद सूरज - तारे
सब फकीर से मौन हैं .-
तभी दीपक ने विनीत भाव
से पूछा - ये अँधेरा कौन है ?
जो टूटे कौन से थे -
सितारे मौन से थे .
बात आकाश की है -
चाँद देगा जवाब .
लिखा था ख़त मिला नहीं -
सच हो के ख्वाब हो -
आओ चलें - इसी बहाने
जी खोल के हंसा मैं - खुद अपने आप पर
ये तेरी दुआ थी - या प्यार
प्यार से बोलो - निहाल हों जाएँ
कई खुद में सिमट जाएँ - कई
अपने -आपे से बाहर हो जाएँ .
बोल कडवे हों - मगर सच कहना
जमीं हिल जाए - पर तू डटे रहना .
मान ले तू अगर मेरा कहना - झूठ
कहना नहीं - सच को सच कहना .
तू मेरा आज है -
और वो कल था .
मेरा क्या -मैं तो 'कल'
बीता हुआ कल हो जाऊं .
प्रकाश - की बात पर
चाँद सूरज - तारे
सब फकीर से मौन हैं .-
तभी दीपक ने विनीत भाव
से पूछा - ये अँधेरा कौन है ?
जो टूटे कौन से थे -
सितारे मौन से थे .
बात आकाश की है -
चाँद देगा जवाब .
शब्द नहीं हे मेरे पास.... बहुत ही गूढ़ रचना...
ReplyDeletebahut khub sir ji
ReplyDelete