जो ना टकराए कभी-पर्वत सुमेरों से
उमड़ घुमड़ - गहराए ना सिन्धु की मुंडेरों से
तटबंध ना तोड़े जो - पवन के झकोरों से
तूफां के मौसम में हम लहरों से खेले हैं .
जो मिला साथ चले - कदमो से कदम मिला
दूर तक चले जो साथ - वो फासलों के मेले हैं .
क्या तूने - झेला है , तूने क्या सहा यार
रिश्तों की भीड़ में - हम बिल्कुल अकेले हैं .
फुर्सत नहीं पल भर - चलना तो है हरपल
एक खेत सींचा है - अभी आगे बहुतेरे हैं .
थकना नहीं है मुझे - रुकना गंवारा कहाँ
पहला ही चक्कर है - अभी और फेरे हैं .
सूरज की कौन कहे - चंदा भी मौन रहे .
अंधियारी रात - सारे भुवन को घेरे हैं
दीपक प्रकाश पुंज - चांदनी बिखेरे हैं
निपटना है उनसे मुझे - जो मन के अँधेरे हैं .
उमड़ घुमड़ - गहराए ना सिन्धु की मुंडेरों से
तटबंध ना तोड़े जो - पवन के झकोरों से
तूफां के मौसम में हम लहरों से खेले हैं .
जो मिला साथ चले - कदमो से कदम मिला
दूर तक चले जो साथ - वो फासलों के मेले हैं .
क्या तूने - झेला है , तूने क्या सहा यार
रिश्तों की भीड़ में - हम बिल्कुल अकेले हैं .
फुर्सत नहीं पल भर - चलना तो है हरपल
एक खेत सींचा है - अभी आगे बहुतेरे हैं .
थकना नहीं है मुझे - रुकना गंवारा कहाँ
पहला ही चक्कर है - अभी और फेरे हैं .
सूरज की कौन कहे - चंदा भी मौन रहे .
अंधियारी रात - सारे भुवन को घेरे हैं
दीपक प्रकाश पुंज - चांदनी बिखेरे हैं
निपटना है उनसे मुझे - जो मन के अँधेरे हैं .
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