बहाना हो ना हो -हंसने का
फिर भी मुस्कुराना चाहिए .
भले पहचान ना हो - तो क्या
उन्हें घर तो बुलाना चाहिए .
घर की दीवार के उखड़ने लगे प्लास्टर -
बदरंग सी लगने लगी अब - चलो
रंग कोई और दूजा आजमाना चाहिए
दशक गुजरे - मशालें बुझ गयी हैं
ठीक है - १८५७ के बाद
१९४७ को अब तो आना चाहिए .
फिर भी मुस्कुराना चाहिए .
भले पहचान ना हो - तो क्या
उन्हें घर तो बुलाना चाहिए .
घर की दीवार के उखड़ने लगे प्लास्टर -
बदरंग सी लगने लगी अब - चलो
रंग कोई और दूजा आजमाना चाहिए
दशक गुजरे - मशालें बुझ गयी हैं
ठीक है - १८५७ के बाद
१९४७ को अब तो आना चाहिए .
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