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Friday, January 27, 2012

बहार ऐसे ही आती है .

जैसे दुखों के बाद सुख .
तपते मौसम के बाद बारिश .
सूखते जख्ममें होने वाली -
मंद मंद खारिश .
अहसास दिलाती है -
शायद पतझर के बाद -
बहार ऐसे ही आती है  .

2 comments:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
    आज चर्चा मंच पर देखी |
    बहुत बहुत बधाई ||

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  2. चर्चा मंच में कविता शामिल करने के
    लिए धन्यवाद ....!!!

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