सर्द रातें हैं बात तेरी-मेरी नहीं
तपस्वी की तरह - भभूत रमाये
अकेले खड़े चिनारो की हैं .
चिंगारी की तलाश में - अलाव
खंगालते - भिखारियों की है .
कौन रखता है किसी का ख्याल -
किस को फुर्सत है दोस्त .
बात पतझर की है - ना की
बहारों की है .
गिरती किसी अमीर - के घर
तो बात कुछ और ही होती
ये बर्फ भी गिरती हैं - वहां
जहाँ रात -तंगहालों की है .
तपस्वी की तरह - भभूत रमाये
अकेले खड़े चिनारो की हैं .
चिंगारी की तलाश में - अलाव
खंगालते - भिखारियों की है .
कौन रखता है किसी का ख्याल -
किस को फुर्सत है दोस्त .
बात पतझर की है - ना की
बहारों की है .
गिरती किसी अमीर - के घर
तो बात कुछ और ही होती
ये बर्फ भी गिरती हैं - वहां
जहाँ रात -तंगहालों की है .
गिरती किसी अमीर - के घर
ReplyDeleteतो बात कुछ और ही होती
ये बर्फ भी गिरती हैं - वहां
जहाँ रात -तंगहालों की है .
वाह क्या बात कही है शर्माजी , बधाई ..
nice sir
ReplyDelete