हमसा कोई था नहीं
तुमसा कोई मिला नहीं .
क्या करते - फिर
साथ तो एक होना ही था .
ना बादल बरसे - ना खेत
तरसे - नदिया थी ना साथ
फिर कोई बरसे की ना बरसे.
उसने सुनी नहीं - मानी नहीं -
ना थी कोई कथा - कहानी नहीं .
दर्द हम सब के एक साथ - चले
पीर अपनी सी लगी - बेगानी नहीं.
तू गज़ब लिखता तो है - पर
इसे पढता है कौन - तू भी चुप
जमाना भी मौन - अब
इस बौझिल सन्नाटे को-
सिवा तेरे मेरे - आखिर तोड़ेगा कौन.
तुमसा कोई मिला नहीं .
क्या करते - फिर
साथ तो एक होना ही था .
ना बादल बरसे - ना खेत
तरसे - नदिया थी ना साथ
फिर कोई बरसे की ना बरसे.
उसने सुनी नहीं - मानी नहीं -
ना थी कोई कथा - कहानी नहीं .
दर्द हम सब के एक साथ - चले
पीर अपनी सी लगी - बेगानी नहीं.
तू गज़ब लिखता तो है - पर
इसे पढता है कौन - तू भी चुप
जमाना भी मौन - अब
इस बौझिल सन्नाटे को-
सिवा तेरे मेरे - आखिर तोड़ेगा कौन.
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