चाँद बैरी था - मगर इस चांदनी को क्या कहें
टहलती है छत पर - उस महजबीं के साथ साथ .
फुर्सत से घड़ा है - खुदा ने तुझे ऐ दोस्त
मैं नहीं - तू सही - या कोई और कारसाज़ .
यहीं - या वहीँ या फिर और कहीं .
कहीं भी हो पर कोई तो हो जो -
टहलती है छत पर - उस महजबीं के साथ साथ .
फुर्सत से घड़ा है - खुदा ने तुझे ऐ दोस्त
मैं नहीं - तू सही - या कोई और कारसाज़ .
यहीं - या वहीँ या फिर और कहीं .
कहीं भी हो पर कोई तो हो जो -
हुकूमत बदलने से कहीं तस्वीर बदलती है .
अंगूठे की स्याही से कहाँ तकदीर बदलती है
नहीं बदलते हालाते - जिन्दगी
बस मौसम ही बदल जाते हैं .
एक ही भाषा - जो उसको सुहाय
प्रेम से पुकार है -प्रेम ही उपाय .
यंत्र -तंत्र -मन्त्र उसे ना जरा भाए
बहेलिया नहीं तू - ना वो चिड़िया
जाल में फंसे वो - हाथ में ना आये .
मन से पुकार ले - तुरत चला आये .
क्या हुआ जो समर - अभी बाकी है
हिजड़ों की फ़ौज को - कल की छोडिये
क्या हुआ जो समर - अभी बाकी है
हिजड़ों की फ़ौज को - कल की छोडिये
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